वित्त वर्ष 2022-23 के लिए budget 2022 से ये हैं उम्मीदें

Budget 2022 से ये हैं उम्मीदें:

Knowledge Corner

आने वाले वित्त वर्ष 2022-23 के लिए बजट पेश होने की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है और अगले माह 1 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अगला बजट पेश करेंगी. यह उनका चौथा बजट होगा. आम बजट से लोगो की खास  उम्मीदें जुड़ी होती हैं. Budget 2022 से ये हैं उम्मीदें:

किफायती घर खरीदारों को मिलेगी राहत
अनुमान लगाया जा रहा है कि, सरकार Budget 2022 में अफोर्डेबल हाउसिंग के अंतर्गत पहली बार घर खरीदने वालों को ब्याज पर मिलने वाली 1.5 लाख रुपये तक की अतिरिक्त छूट को 1 साल के लिए बढ़ा सकती है। बता दें, सेक्शन 80EEA के तहत 45 लाख रुपये तक के मकान पर 1.5 लाख रुपये की होम लोन के ब्याज चुकाने पर अतिरिक्त छूट मिलती है। दरअसल, सरकार ने बजट 2019 में इनकम टैक्स एक्ट में नया सेक्शन 80EEA जोड़कर होम लोन के ब्याज भुगतान पर 1.5 लाख रुपये तक की अतिरिक्त कटौती के लिए प्रावधान किया था। उस समय इसका फायदा उन्हीं होम बॉयर्स के लिए था, जिन्होंने अप्रैल 2019 से मार्च 2020 के बीच लोन लिया हो, लेकिन, Budget 2022 में इसकी डेडलाइन को एक साल के लिए बढ़ाया जा सकता है। यही नहीं बजट 2021 में एक बार फिर इसे 1 साल का एक्सटेंशन दे दिया गया था। रिपोर्ट के अनुसार, इसे एक बार फिर से 1 साल के लिए बढ़ाया जा सकता है।

रियल एस्टेट क्षेत्र कर रहा ये मांगें
सूत्रों के अनुसार, Budget 2022 के लिए अलग-अलग सेक्टर से मांगे सरकार के पास आ रही हैं। रियल एस्टेट सेक्टर की अगर बात करें तो इससे जुड़े संस्थाओ, का कहना है कि इस बजट में अगर लोगों को होम लोन पर छूट, ब्याज सब्सिडी, GST कटौती, रियल एस्टेट को इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर का दर्जा देने जैसे कदम उठाए जाते हैं तो यह पूरे हाउसिंग सेक्टर में तेजी लाने वाले कदम साबित हो सकते हैं। फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) की ओर से भी यह मांग की गई है कि, होम लोन पर मिलने वाली ब्याज सब्सिडी को कुछ समय के लिए और आगे बढ़ाया जाए। अगर सरकार ऐसा करती है तो किफायती घर खरीदारों को राहत मिलने के साथ ही रियल एस्टेट सेक्टर को भी गति मिल सकती है।

कोरोना मरीजों व उनके परिवार के लिए कुछ घोषणाएं कर सकती हैं

कोरोना महामारी में कई कोरोना मरीजों व उनके परिवारों को केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, कंपनियों, दोस्तों व समाज सेवकों से वित्तीय मदद मिली लेकिन बहुत से लोगों को यह पूरी लड़ाई अपने बल बूते पर लड़नी पड़ी। इसे लेकर टैक्स एक्सपर्ट्स का मानना है कि, ऐसे लोगों को कोरोना के इलाज पर खर्च हुए पैसो पर डिडक्शन का फायदा देने पर सरकार विचार कर सकती है। सूत्रों के अनुसार, सरकार ने 25 जून 2021 को एक प्रेस रिलीज जारी किया था जिसके तहत कोरोना के इलाज पर खर्च के लिए कंपनी या किसी अन्य शख्स से मिली मदद पर इनकम टैक्स एग्जेम्प्शन का प्रावधान किया गया.

कोरोना के दौरान अपनी जान गंवा चुके टैक्सपेयर्स के परिवार को उसकी कंपनी से मिली वित्तीय मदद पर बिना किसी लिमिट के छूट मिलेगी और अगर यह वित्तीय मदद किसी अन्य शख्स से मिली है, तो कुल 10 लाख रुपये पर छूट  मिलेगी। केंद्र सरकार द्वारा जारी प्रेस रिलीज के मुताबिक इसके लिए जरूरी वैधानकि संशोधन किए जाएंगे लेकिन यह अभी तक नहीं हो सका है. ऐसे में केंद्रीय वित्त मंत्री इसे लेकर आगामी बजट में जरूरी संशोधनों का ऐलान कर सकती हैं.

इंश्योरेंस सेक्टर पर फोकस बढ़ा

कोरोना वायरस महामारी के चलते पिछले दो साल में इकोनॉमी पर काफी दबाव रहा है. खासकर स्वास्थ्य क्षेत्र (Health Sector) पर काफी फोकस बढ़ा है. कोरोना वायरस के चलते लोगों ने हेल्थ पर ज्यादा ध्यान देना शुरू कर दिया है. इसमें सबसे ज्यादा ध्यान केंद्रित इंश्योरेंस सेक्टर रहा. कोरोना महामारी की वजह से कई जिंदगियां छिन गईं. ऐसे में लोगों ने लाइफ इंश्योरेंस को अधिक प्राथमिकता दी है. इनकी संख्या में अधिक तेजी आई है. लेकिन, करदाताओं इस मामले में अब छूट का इंतजार कर रहे है.

वर्क फ्रॉम का खर्च बढ़ा

रोना महामारी की मौजूदा स्थिति को देखते हुए अधिकतर हर क्षेत्र के कर्मचारी अभी घर से काम कर रहे हैं. इससे लोगों का खर्च बढ़ गया है. इसमें इंटरनेट, मकान किराया, इलेक्ट्रीसिटी, फर्नीचर आदि के खर्च शामिल हैं. इसे देखते हुए कर्मचारियों को भत्ता की जरूरत है ताकि वे खर्च की अदायगी कर सकें.

ICAI ने एक ऐसी ही सानुरोध याचिका स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट बढ़ाने के लिए की है. इनकम टैक्स की धारा 16 में सम्मलित अभी स्टैंडर्ड डिडक्शन की राशि 50,000 रुपये निश्चित है जिसे बढ़ाकर 1 लाख रुपये करने की मांग की गई है. स्टैंडर्ड डिडक्शन की याचिका वैसे खर्च के लिए की जा रही है जो ऑफिस के काम पर होता है और यह प्रोफेशनल टैक्स के अलावा होता है. कर्मचारी अपने काम से संबंधित कई तरह के खर्च करता है लेकिन स्टैंडर्ड डिडक्शन की रेंज कम होने के चलते वह इन खर्चों को क्लेम नहीं कर पाता.

GST दरों में हो सुधार

कच्चे माल की कीमतें पहले से ही बहुत अधिक हैं । ऐसे में सरकार को GST की दरों में सुधार लाना होगा और इसे तार्किक बनाना होगा, ताकि छोटे कारोबारियों की मदद हो सके। उत्पादन सेक्टर को 18 फीसदी की दर से घटाकर 12 प्रतिशत किया जाना चाहिए। कुछ प्रोडक्ट पर GST एक समान है चाहे वह इसे 50 लाख रुपये की कंपनी से खरीदें या 500 करोड़ रुपये की टर्नओवर वाली कंपनी से। अब सरकार हमें छोटे करोबारियो से खरीदने के लिए कह रही है।

 

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